सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer): प्रकार, कारण, लक्षण, संकेत, रोकथाम और उपचार

सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा के स्तर मे असामान्य कोशिकाओं की ऐसी वृद्धि है, जिसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता हैं। जो गर्भाशय ग्रीवा महिला प्रजनन प्रणाली का एक भाग होता है और गर्भ के निचले हिस्से में स्थित होता है, जो गर्भ से योनि तक खुलती है। इसे बच्चेदानी के कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। सर्वाइकल कैंसर का कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा) तब होता है जब कोशिकाओ मे गर्भाशय ग्रीवा प्रवेश द्वार के अस्तर में असामान्य रूप से विकसित होती है जो निचले गर्भाशय की गर्दन या संकीर्ण हिस्सा होता है। छोटी उम्र में कई यौन संबंध होने या यौन सक्रिय होने से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के विकास के होने का खतरा बढ़ जाती है। और कैंसर के लक्षण जल्दी सामने आने पर जीवित रहने की संभावना ज़्यादा होती है। अधिकतर ग्रीवा के कैंसर के लक्षणों में पैल्विक दर्द, योनि से बदबूदार निर्वहन, पीरियड से पहले और बाद में रक्तस्राव और यौन गतिविधि के समय असुविधा का महसूस होता है। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लक्षणों के साथ संक्रमण हो सकता है।

भारत में सर्वाइकल कैंसर की स्थिति

अबतक भारत में लगभग ग्रीवा कैंसर के 1,22,000 नए मामले सामने आए है, जिसमें लगभग 67,500 महिलाएं होती हैं, और कैंसर से संबंधित कुल मौतों का 11.1 प्रतिशत कारण सर्वाइकल कैंसर ही होता है।

खास बातें

  • भारत मे सिर्फ 3.1 प्रतिशत महिलाओं की ही जांच हो पाती हैं।
  • एचपीवी संक्रमण से फैलता है सर्वाइकल कैंसर
  • भारत मे सर्वाइकल कैंसर के 11.1 प्रतिशत कुल मौतों का मुख्य कारण है।

कैसे होता है सर्वाइकल कैंसर

गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर यानी सर्वाइकल कैंसर के लगभग सभी मामले ह्यूमन पैपीलोमावायरस (HPV) की वजह से होते हैं यह एक आम वायरस है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संभोग के दौरान जा सकता है ह्यूमन पैपीलोमावायरस इतना आम है कि ज़्यादातर लोग अपनी ज़िंदगी में इससे ज़रूर संक्रमित होते हैं लेकिन HPV से किसी तरह के लक्षण नज़र नहीं आते हैं, इसलिए आप इससे कब संक्रमित हो जाएंगे, आपको पता भी नहीं चलेगा ज्यादातर महिलाओं में ये वायरस अपने आप चला भी जाता है अगर नहीं गया तो यह समय के साथ इस कैंसर का रूप ले लेता है। किंतु इनके अलावा भी बहुत ऐसे कारक है जिसके वजह से महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता हैं।

सर्वाइकल कैंसर के प्रकार

1.मेटास्टेटिक सर्वाइकल कैंसर

जब यह कैंसर ग्रीवा के अलावा शरीर के कई हिस्सों में फैल जाता है, तो इसको मेटास्टेटिक सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है।

2.स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा

80 से 90 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर के मामले स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा की वजह से होते हैं, जो गर्भाशय ग्रीवा के निचले भाग में परतदार, सपाट कोशिकाओं में स्थित होता है।

3.एडेनोकार्सिनोमा

जब कैंसर के ट्यूमर ग्रीवा के ऊपर वाले भाग में ग्लैंड्स की कोशिकाओं में विकसित होते हैं, तब इसे एडेनोकार्सिनोमा भी कहा जाता है।

सर्वाइकल कैंसर के कारण

सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण ह्यूमन पेपिलोमावायरस को माना जा सकता है, जो कि एक यौन संचारित वायरस है। ह्यूमन पेपिलोमा वायरस के 10 से अधिक निचले स्तर से, लगभग 14 उच्च जोखिम वाले एचपीवी माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त सर्वाइकल कैंसर या गर्भाशय ग्रीवा के अधिकतर मामलों में, दो एचपीवी प्रकार (16 और 18) कारण पाए जाते हैं। गर्भाशय ग्रीवा के विकास के अन्य जोखिम की बात करें तो ये दर्ज शिकायत सिस्टम, मौखिक गर्भ निरोधकों का लंबे समय तक उपयोग, पूर्व में अधिक बार गर्भावस्था और अधिक वजन शामिल हैं।

सर्वाइकल कैंसर के निम्न कारण है जो इसके जोखिम को बढ़ावा देते हैं-

1.गर्भनिरोधक गोलियां

लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियां का इस्तेमाल करने से भी कैंसर के जोखिम का खतरा बनता है जिससे इसे बढ़ावा मिलता है।

2.ह्यूमन पैपिलोमा वायरस

यह एक यौन संचारित वायरस है जिसके एक सौ से ज्यादा प्रकार मे लगभग 14 प्रकार सर्वाइकल कैंसर का कारण बनते हैं।

3.गर्भधारण

जो महिला 3 या 3 से ज्यादा बच्चों को जन्म दे चुकी है,उसमें भी इस कैंसर के जोखिम अधिक होता है।

4.यौन संचारित बीमारियां

गोनोरिया या सिफलिस से संक्रमित हो चुकी महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का जोखिम ज्यादा होता है।

  • ज्यादा समय तक तनाव ग्रस्त रहना
  • धुम्रपान करना

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण और संकेत

सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती दौर में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे या गंभीर होने लगता है इसके लक्षण दिखने लगते हैं। जैसे-जैसे रोग बढ़ता है अन्य लक्षण दिखाई दे सकते हैं जिनमें शामिल हैं पैर में दर्द या पीठ के निचले हिस्से में दर्द इसके लक्षण हो सकते हैं और ये आमतौर पर सर्वाइकल कैंसर के बाद के लक्षणों में देखे जाते हैं मूत्राशय और मल त्याग में परिवर्तन से बार-बार पेशाब आना या ऐसा महसूस होना कि आपको हमेशा जाना है, इस बीमारी से जुड़े लक्षण हैं इनके और भी लक्षण है जो निम्नलिखित है-

  • किडनी फैलियर
  • वजन कम होना
  • अनियमित पीरियड्स आना
  • यूरिन पास करने में परेशानी होना
  • भूख में कमी
  • पेल्विक दर्द जो पीरियड से जुड़ा नहीं होता है।
  • पैर में सूजन होना
  • बेवजह थकान लगना
  • दादर रक्तस्त्राव होना
  • हड्डियों में दर्द होना
  • असामान्य रूप से योनि से खून बहना, पीरियड्स या रजोनिवृत्ति के बाद।
  • अधिक या लंबे समय तक मासिक धर्म इसे संकेत का कारण है।
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द होना

सर्वाइकल कैंसर के सामान्य लक्षण

  • रक्त के साथ योनि
  • गंध के साथ योनि से नजर
  • मैनोपोज़ के बाद रक्त बहना
  • पेशाब करते समय दर्द होना
  • संभोग के दौरान बेचैनी या खून आना
  • नदियों के बीच रक्तस्राव
  • यौन संबंध के बाद रक्त
  • तथा यह संभव है कि उपरोक्त लक्षण किसी और समस्या से भी जुड़े हो सकते हैं, किंतु यदि यह लक्षण लंबे दिनों तक बने रहें तो डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक होता है।

सर्वाइकल कैंसर के स्टेज (stage of cervical cancer)

यह स्टेजिंग, स्टेज 0 से स्टेज IV तक रहती है। इनमे एक प्रभावी उपचार योजना बनाने के लिए कैंसर के स्टेज का पता लगाना जरूरी होता है,क्योंकि इसके अतिरिक्त कैंसर की सीमा का पता लगाने के उद्देश्य से ही स्टेजिंग की जाती है।

सर्वाइकल कैंसर स्टेज 0

इनका मतलब यह होता है की पहले-कैंसर की स्थिति, जिसे कार्सिनोमा इन सीटू भी कहा जाता है, इनके असाधारण कोशिकाएँ सिर्फ गर्भाशय ग्रीवा की सतह पर ही पाई जाती हैं।

सर्वाइकल कैंसर स्टेज 1

इसका अर्थ होता है, कैंसर अभी भी गर्भाशय ग्रीवा तक ही सीमित है। और गहरे आवरण और पहिए में और इससे जुड़े लोग सामने आते हैं।

सर्वाइकल कैंसर स्टेज 2

इस स्टेज का यह अर्थ होता है कि कैंसर गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय से आगे फैल चुका है,किंतु श्रोणि की दीवारों या योनि के निचले हिस्से तक नहीं पहुँचा है।

सर्वाइकल कैंसर स्टेज 3

इसका यह अर्थ है,की कैंसर सेल्स योनि के निचले हिस्से या श्रोणि की दीवारों तक फैल चुका है।और यह मूत्रवाहिनी, मूत्राशय से मूत्र ले जाने वाली नलियों को अवरुद्ध कर सकती हैं। यह निकट के किसी संपर्क से प्रभावित भी हो सकता है।

सर्वाइकल कैंसर स्टेज 4

इनमें कैंसर आस-पास के अंगों, जैसे मूत्राशय या मलाशय या दूर के अंगों(फेफड़ों) में फैल चुका होता है।और खिंचाव से बाहर बढ़ जाता है।और इससे संपर्क प्रभावित हो सकता है और नहीं भी। बाद के चरण 4 में, यह लीवर, हड्डियाँ,और अन्य संबंधित दृष्टिकोण दूर के लोगों में फैलेंगे।

गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का निदान

सर्वाइकल कैंसर का निदान आमतौर पर नियमित स्क्रीनिंग टेस्ट्स जैसे, पैप स्मीयर टेस्ट से स्टार्ट किया जाता है,और इस टेस्ट में असामान्य कोशिकाओं का पता लगाया जाता है या इसके जगह पर एचपीवी डीएनए परीक्षण किया जा सकता है, जिसमें सर्वाइकल एचपीवी संक्रमण की जाँच की जाती है।सर्वाइकल कैंसर के लक्षण और उपचार, दोनों के लिए सर्वाइकल कैंसर का निदान आवश्यक है, जैसे लक्षणों को नोटिस करने पर तथा एक प्रभावी इलाज का योजना बनाने के लिए,सर्वाइकल कैंसर की पहचान और इस कैंसर से बचाव के लिए, इसका निदान समय पर होना बहुत जरूरी होता है। यदि इन परीक्षणों के बाद भी फायदा नहीं होता है तो कॉल्पोस्कोपी या सर्वाइकल बायोप्सी की जाती है। जिनके अंदर एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन या पीईटी स्कैन जैसे परीक्षणों का भी कैंसर के सीमा का पता लगाने के लिए किये जाते है।

सर्वाइकल कैंसर के जोखिम कारक

अन्य कारक है,जो आपके जोखिम को बढ़ा सकते हैं उनमें जो शामिल हैं वे निम्नलिखित है –

  • क्लैमाइडिया
  • गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का पारिवारिक इतिहास
  • ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस ( एचआईवी )
  • धूम्रपान
  • क्रिसमस और सौंदर्य का कम सेवन
  • तीन पूर्ण-धारणा होना
  • मोटा
  • गर्भनिरोधक का सेवन
  • जब आप पहली बार प्रेग्नेंट हुए हैं तो 17 साल से कम उम्र का होना चाहिए।

सर्वाइकल कैंसर का उपचार

कैंसर के प्रकार, चरण, रोगी का संपूर्ण स्वास्थ्य, उसकी व्यक्तिगत प्राथमिकताएँ और ज़िंदा पर डूब जाता है। चिकित्सा के क्षेत्र में प्रगति के कारण खोजे जाते हैं, कुछ नए उपचार विकल्प जैसे, टार्गेटेड थेरेपी और एजेंथेरपी का उपयोग भी कैंसर के उपचार के लिए वर्तमान में किया जा रहा है। रेडिएशन थेरेपी, मरज़ या संयोजन इनमें शामिल हो सकते हैं। इन उपचार के विकल्पों का इस्तेमाल कैंसर कोशिकाओं को टार्गेट करने और कैंसर से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता को बढ़ाने के लिए किये जाते हैं।

1.रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा)

यह हाई-एनर्जी एक्स-रे बीम का उपयोग करके कैंसर की परत को जोड़ा जाता है। इसे शरीर के बाहर एक इंटरनेट के जरिए डिलीवर किया जा सकता है। इसे गर्भाशय या योनि में रखे हुए धातु की ट्यूब का प्रयोग करके शरीर के अंदर से भी अपडेट किया जात है।

2.उपचार (कीमोथेरेपी)

यह इलाज साइकिल में डॉक्टर द्वारा दिया जाता है। आपको कुछ ही समय के लिए कीमो मिलेगा। फिर आप अपने शरीर को ठीक होने के लिए समय देने के लिए इलाज बंद कर देंगे और पूरे शरीर में कैंसर को मारने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जायेगा।

3.सर्जरी (सर्जरी)

इस सर्जरी का मकसद कैंसर को दूर करना होता है कभी-कभी डॉक्टर केवल गर्भाशय ग्रीवा के उस क्षेत्र को हटा सकते हैं जिसमें कैंसर हो जाता है। कैंसर के लिए जो अधिक विस्तृत है, सर्जरी में खिंचाव में गर्भाशय ग्रीवा और अन्य दूसरे अंगों को निकाला जा सकता है।

सर्वाइकल कैंसर का इलाज

सर्वाइकल कैंसर मतलब गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर भारत तथा अन्य सभी जगहों पर होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर माना जाता है। क्योंकि ये किसी भी उम्र की महिलाएं मे आसानी से बड़ी हो सकती हैं। दरअसल, सर्विक्स नामांकन में एक राउटर का प्रकार होता है, ये सर्विक्स पंजीकरण के निचले अंग को योनि से जोड़ने का काम करता है। और जब ये कैंसर सर्विक्स पर एक साथ असर करते हैं तो ये प्रभावित होता है।सर्जरी या ऑपरेशन सर्वाइकल कैंसर को ठीक करने का एक सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। सर्जरी में डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को निकाल देते हैं जिससे ये अन्य अन्य जगहों पर ना जाएं।

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1.पेल्विक एक्सट्रैक्शन

यह सर्जरी में स्वस्थ जगहों से त्वचा ली जाती है,और कई बार तो योनि को ही हटा दिया जाता है, किंतु बाद में वो खुद वापस होने लगती है। और इस कैंसर में पैल्विक एक्सेंटरेशन एक खास तरह का ऑपरेशन है, और इस ऑपरेशन के जरिए कैंसर सेल को तोड़ा जाता है और एकत्रित किया जाता है जिससे अन्य स्वस्थ घटक प्रभावित नहीं होते हैं।

2.कोनाइजेशन

इस सर्जरी मे कैंसर नहीं है, ये सर्जरी तब की जाती है जब सर्वाइकल कैंसर छोटा हो या शुरू हो।इस स्थिति में डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा से असामान्य कोशिकाओं के आकार का क्षेत्र निकाल देते है।

3.रेडियोथेरेपी थेरेपी

इस उपचार के जरीय रेडिएशन किरणों के माध्यम से कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट कर दिया जाता है।रेडिएशन थेरेपी शुरू करने से पहले सीटी स्कैन किए जाने से कैंसर होने का पता चल जाता हैं इस थेरेपी का एक फायदा यह भी है कि इससे कैंसर के झटके नष्ट भी हो जाते हैं साथ ही ये अन्य जगहों पर भी कैंसर फैलने का कारण बनते हैं। रेडिएशन थेरेपी को रेडियोथेरेपी भी कहते हैं।

4.ट्रेचेलेक्टोमी

ये इलाज शुरूआती दिनों के लिए ही ठीक होता है।इस थेरेपी में गर्भाशय ग्रीवा के आसपास मौजूद सभी ऊतकों और योनि के ऊपरी हिस्से को हटा दिया जाता है, लेकिन गर्भ को छोड़ दिया जाता है।

5.हिस्टेरेक टॉमी

इनके इलाज में गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय को हटा दिया जाता है,जिससे ये उपचार के बाद ठीक हो जाता है, लेकिन कई बार एस होता है की इस सर्जरी के बाद पीड़ित महिला बच्चे को जन्म नहीं दे पाती है।और सर्वाइकल कैंसर यानी गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लिए डॉक्टर हिस्टेरेक टॉमी की सलाह देते हैं। ये रेडियोथेरेपी की तरह ही होती है।

6.कीमोथेरेपी

इस थेरेपी में सबसे पहले ब्लड टेस्ट किया जाता है, बल्ड टेस्ट से पता चलता है कि कैंसर का स्तर कहां तक ​​बढ़ा है। उसके बाद एक्स-रे करके यह सुनिश्चित किया जाता है कि किमो कहां देना है। उसके बाद उसके नसों के आसपास को साफ-सफाई करके नसों में सुई लगाये जाते है।और इस थेरेपी के बाद कैंसर की परत खत्म हो जाती है।

सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम

सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम जोखिम में, मुख्य रूप से जोखिम कारकों को कम करने और निवारक स्वास्थ्य देखभाल उपायों को बढ़ावा देने, जैसी रणनीतियाँ शामिल हैं। एचपीवी टीकाकरण से, सुरक्षित यौन संबंध बनाने से, धूम्रपान से, स्वस्थ वजन बनाए रखने से और नियमित गर्भाशय ग्रीवा स्क्रीनिंग से, सर्वाइकल कैंसर के विकास को बहुत हद तक संभव है।एच पी वी टीकाकरण से, सर्वाइकल कैंसर के उच्च जोखिम कारक, जैसे कुछ विशेष प्रकार के एच पी वी के संक्रमण से बचा जा सकता है।एचपीवी परीक्षण नियमित निगरानी से, गर्भाशय ग्रीवा में पूर्व-कैंसर की स्थिति या किसी परिवर्तन का पता लगाया जा सकता है जिसके आधार पर उपचार के द्वारा, पूर्व-कैंसर की स्थिति को कैंसर में विकसित होने को रोका जा सकता है।

निष्कर्ष

एक गंभीर और घातक बीमारी होने के बावजूद भी शुरूआती अवस्था में सर्वाइकल कैंसर की पहचान और इसका इलाज संभव है। भारत जैसे देशों में जहाँ सर्वाइकल कैंसर चरम पर है,गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के बारे में जागरूकता और शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। अधिकांश औद्योगिक देशों में सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित महिलाओं को बेहतर प्रमाणीकरण तकनीक, बेहतर उपचार (कीमोराडियोथेरेपी सहित),और अधिक रूढ़िवादी सर्जिकल दृष्टिकोण से लाभ हुआ है। कम संसाधन सेटिंग में – जहां रेडियोलॉजी, कीमोराडियोथेरेपी और सहायक देखभाल की सुविधा सीमित हैं।

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