आजकल DIABITIES या मधुमेह या शुगर एक सामान्य एवं जानलेवा,खतरनाक बीमारी बन चुका है। बच्चे जवान तथा बूढ़े पुरुष तथा महिला सभी इस बीमारी के चपेट में है। यह बीमारी आमतौर पर खराब जीवन शैली के कारण होती है। लेकिन यह कभी कभी अनुवांशिक भी होती है। दुनिआ के अधिकतर आबादी इस बीमारी से जूझ रहे है। WHO के अनुसार दुनिआ भर में 422 मिलियन लोग इस बीमारी से ग्रस्त है। वर्तमान में भारत के 8 करोड़ लोगो को डॉयबिटीज़ है। 2045 तक 13 करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी ग्रसित है। करीब 15 लाख लोगो की मौत हर साल प्रत्यक्छ रूप से होता है। NCBI की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की 5 % आबादी डॉयबिटीज़ से जूझ रहे है। और यह बीमारी दिन प्रतिदिन तेज रफ़्तार से बढ़ रही है।
DIABITIES एक ऐसी एक स्वास्थ समस्या है जिनके लक्षण और उपाय को पहचानकर इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है।आज हम इन्ही बीमारी से जुड़े लेख के बारे में जानेंगे। कि डॉयबिटीज़ क्या है तथा इनके लक्छण ,कारण तथा उपाय क्या है।
डॉयबिटीज क्या है? (What is Diabetes)
डॉयबिटीज़ उपापचय (मेटाबोलिज्म ) डिसआर्डर से सबंधित एक गंभीर बीमारी है जो एक बार होने पर शरीर में प्राय: स्थIयी रूप से घर बना लेते है। ऐसे मधुमेह या सुगर बीमारी भी कहा जाता है। दरअसल हमारे शरीर में अग्नाशय ग्रन्धि लैंगरहेस बीटा कोशिका से इंसुलिन हार्मोन स्रावित होता है। जो हमारे द्वारा सेवन किये खाद्य पदार्थ या गुलूकोज़ को ऊर्जा में प्रवर्तित करने का काम करता है। इंसुलिन आपके शरीर की कोशिका में ब्लडशुगर को पहुंचाने में अहम् भूमिका निभाते है। जिससे की शरीर शुगर को ऊर्जा के रूप में उपयोग केर सके। जब इन्ही इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन कम या बंद हो जाता है तब हमारे द्वारा सेवन किए गए खाद्य पदार्थ ऊर्जा में परिवर्तित नहीं हो पाता है जिसके कारण शरीर में गुलूकोज़ या शुगर का स्तर बढ़ जाता है और यह शुगर पेशाब के जरिये बाहर निकलने लगता है। इसी स्तिथि को डॉयबिटीज़ या शुगर या मधुमेह कहा जाता है। इसका प्रभाव शरीर के विभिन्न अंगो पर प्रभाव पड़ता है आँखो,दिल नसों,और किडनी से सबंधित गंभीर बीमारीयो को जन्म देती है।
डॉयबिटीज़ के प्रकार (Types of Diabetes)
डॉयबिटीज़ के तीन प्रकार होते है ,जिन्हे टाइप १ ,टाइप २ और जेसटेसनल डॉयबिटीज़ कहते है
टाइप 1 डयबिटीज
यह एक प्रकार का ऑटोइम्यून विकार है जिसमे शरीर का इम्युन सिस्टम आंतो पर अटैक करता है ,जिसके कारण इन्सुलिन का स्त्रवण क़म हो जाती है और रक्त में गलूकोज का स्तर बढ़ जाता है।
इसका लक्छ्ण बचपन से ही परिलक्षित होने लगता है। इसका कोई स्पस्ट कारण नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है टाइप १ डॉयबिटीज़ विरासती और पर्यावरणीय कारको के सयोजन से होती है। इसके अलावे वायरल बीमारी के संपर्क में आने पर,आपके माता पिता या भाई बहन में डॉयबिटीज होने से ,डॉयबिटीज ऑटो उपस्थिति से विटामिन डी की कमी से टाइप १ डॉयबिटीज भी होता है।
टाइप 2 डयबिटीज
यह डॉयबिटीज़ के सभी प्रकारों में आम डायबिटीज है। डायबिटीज से ग्रस्त अधिकांश लोग इसी कैटेगरी में आते है। इस प्रकार डायबिटीज खराब जीवन शैली अस्वथ आहार ,तनाव ,मोटापा के कारण सभी प्रकार के आयु एवं लिंगों में हो रहा है। इस स्थिति में अग्नाशय जरुरत के मुताबिक़ इन्सुलिन नहीं बना पाटा है जिससे रक्त में शुगर का स्तर बढ़ने लगताहै इसका मुख्य कारण वजन बढ़ना ,मोटापा ,सरीरिरक निष्क्रियता ,फॅमिली हिस्ट्री ,उम्र का बढ़ना ,तनाव। चिरचिरापन,अवसात ,नींद की कमी तथा खराब खानपान इत्यादि है।
जेस्टनल डायबिटीज
इस प्रकार की डायबिटीज गर्भवती महिलाओं को होती है। यह गर्भ में पलने वाले बच्चों को भी प्रभावित करती है। जेस्टनल डायबिटीज आम तौर पर डिलेवरी के बाद ख़त्म हो जाती है।
इसके अलावे डायबिटीज के प्रकार में
i) डायबिटीज इन्सिपिडस
दरसल यह किडनी में पानी न रुक पाने के कारण होता है। यह रेयर कारकों में होता हो। तथा इसका आसानी से इलाज किया जा सकता है।
ii) मैच्योरिटी ऑन सेट डायबिटीज ऑफ़ दी यंग (MODY)
यह सिंगल जीन के म्युटेशन के कारण होता है। यदि माता पिता के जीन में म्युटेशन होता है। तो इसके बच्चे आने के 50 % तक चांसेस होते है। नहीं 25 साल के उम्र के बाद कभी MODY की तकलीफ हो सकती है।
iii) नियोनेटल डायबिटीज
यह बच्चों में आम तौर पर बच्चे के जन्म के 6 महीने पहले होती है।
iv) लेटेंट ऑटो इम्यून डायबिटीज इन एडल्ट
इस तरह की डायबिटीज तब होती है। जब रक्त में ग्लूकोस का स्तर बढ़ जाता है। यह आम तौर पर वयस्कों में होता है।
मधुमेह रोग के लक्षण (Symptoms of Diabetes)
कभी – कभी दायबिटिज के लक्षण आने के बाद भी लोग इसे नजर अंदाज कर देते है। या फिर लोगों को पता नहीं रहता है और लोग इससे ग्रसित हो जाते है। तथा यह स्थायी रूप से शरीर में अपना घर बना लेती है। यदि इसके लक्षणों को सही समय पर पहचान लिया जाए तो इस बीमारी से सदा के लिए छुटकारा पाया जा सकता है। इसके कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार है।
- ज्यादा प्यास एवं भूख लगना – ज्यादा प्यास एवं भूख लगना डायबिटीज का आम लक्षण है। रक्त में सकरा के के बढ़ने से मरीजों को बार बार पेशाब आने के कारण डिहाइड्रेशन की समस्या उत्त्पन्न हो जाती है। इसके परिणाम स्वरुप बार बार प्यास लगना सुरु हो जाता है। टाइप 2 डायबिटीज में शरीर की कोशिका प्रभावी रूप से ग्लूकोस को ऊर्जा के रूप में उपयोग नहीं कर पता है जिससे ऊर्जा की कमी कहसुस होती है। जिसे पूरा करने के लिए बार बार भोजन करने की आवश्यकता महसूस होती है।
- बार – बार पेशाब आना – हमारे शरीर में मौजूद किडनी पेशाब के जरिये अवसिष्ठ पदार्थों को बहार निकालने का काम करती है। ऐसे में जब शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाट है। तो किडनी खून से अधिक से अधिक शुगर को फ़िल्टर करने की कोशिस करती है। यही कारण है। की मधुमेह मरीजों को बार बार पेशाब आने की समस्या होती है। ऐसा ख़ास कर रात में होता है।
- अत्यधिक थका हुआ महसूस करना – अत्यधिक थका हुआ महसूस करना डायबिटीज मरीजों का एक प्रमुख लक्षण है। डायबिटीज मरीजों के शरीर खाद्य पदार्थों को ऊर्जा में परिवर्तित नहीं कर पात है। जिस कारण उसे थकान एवं कमजोरी का अनुभव हमेशा रहती है।
- धुंदला दिखाई परना – शरीर में जब ब्लड ग्लूकोज़ का स्तर अत्यधिक हो जाता है। तो इसका प्रभाव आँखों पर पड़ने लगता है। आँखों के लेंस में ग्लूकोज़ का अवशोषण शुरू हो जाता तथा आँखों के आकार और नजर में बदलाव होने लगता है। कभी -कभी इसका परिणाम भयानक हो जाता है। और मरीज अंधेपन का शिकार हो जाता है।
- वजन में परिवर्तन होना – शुगर मरीज के लक्षण में अचानक वजन बढ़ना और घटना भी शामिल है। वजन घटना मधुमेह का शुरुआती लक्षण है जबकि वजन बढ़ना मधुमेह होने के बाद का लक्षण है। इन्सुलिन की अपर्याप्त मात्रा हमारे शरीर द्वारा ग्रहण किये खाद्य पदार्थों का ऊर्जा में परिवर्तन करने में असक्षम हो जाता है। तो शरीर फैट और मस्सल्स बर्न कर के ऊर्जा के रूप में करने लगता है। परिणाम स्वरुप वजन में कमी होने लगता है।
- वहीँ मधुमेह मरीजों में अत्यधिक भूख लगने के कारण बार -बार और अधिक भोजन के सेवन से शरीर का वजन बढ़ने लगता है।
- त्वचा संक्रमण – मधुमेह त्वचा पर बुरी तरह से प्रभाव डालता है। त्वचा में संक्रमण होना,त्वचा पर चकते के रूप में दिखाई देना इसका लक्षण है।
- अवसाद चिडचीडापन – डायबिटीज के कारण तनाव या मानसिक समस्या भी उत्त्पन्न हो जाती है। जिससे मरीज चिड़चिड़ापन अवसाद के शिकार हो जाते है।
- घाव का देरी से भरना – घाव का देर से भरना मधुमेह मरीजों का मुख्या लक्षणों में से एक है। ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने से शरीर की सफ़ेद रक्त कोशिकाएं कमजोर हो जाती है। जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। ऐसे में मधुमेह मरीजों में घाव धीरे धीरे भरता है।
- वेजिनल इंफेक्शन – मधुमेह मरीजों में बार बार पेशाब होने से वेजिनल इंफेक्शन हो जाता है। इसके लिए कैंडिडा फंगस जिम्मेदार होते है।
- मुँह का संक्रमण – डायबिटीज मरीज में डिहाइड्रेशन की समस्या से मुँह सूखने लगता है। जिससे मुँह में संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है।
डायबिटीज का निदान (Diagnosing Diabetes)
उपयुक्त लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो खुद या डॉक्टर की सलाह से निन्मलिखित टेस्ट करा सकते है।
- रेंडम ब्लड शुगर टेस्ट – यह टेस्ट किसी भी समय खाने से पहले या बाद कराया जा सकता है। यदि आपका ब्लड शुगर 200mg /DL है। तो आपको डायबिटीज है।
- फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट – यह टेस्ट 12 घंटे के फास्टिंग या उपवास के बाद कराया जाता है। यह आम तौर पर रात भर के उपवास के बाद सुबह कराया जाता है। अगर आपका ब्लड शुगर लेवल 80-100 के बिच है। तो आपका ब्लड शुगर सामान्य है। वहीँ यदि 100 -125 के बीच है. तो प्री डायबिटीज है। और इससे ऊपर पूर्ण डायबिटीज है।
- ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट – इसमें मरीजों के खाना खाने के 90 मिनट के बाद ब्लड सैंपल लिया जाता है। अगर ब्लड शुगर लेवल 140 mg/dl है। तोह ब्लड शुगर सामान्य माना जाता है। 140 -200 के बीच का लेवल प्री डायबिटीज माना जाता है। वहीँ अगर 200mg/dl से ऊपर है। तो उसे शुगर पेशेंट्स माना जाता है।
- HBA1C हेमोग्लोबिन टेस्ट – इस टेस्ट से आपके पिछले 2 -3 महीनों के औसत ब्लड शुगर लेवल का पता लगाया जाता है। यदि शुगर लेवल 5. 7 % या उस से कम हो तो सामान्य माना जाता है। 6. 5 % या उस से अधिक डायबिटीज माना जाता है।
शुगर का शरीर पर प्रभाव (Effects of Diabetes on the Body)
- किडनी पर असर- किडनी हमारे शरीर के सभी अवशिष्ट विषैले पदार्थों को छानने का काम करती है। किडनी में छोटी -छोटी रक्त वाहिका होती है। जो हाई ब्लड शुगर के कारण क्षतिग्रस्त हो जाती है। जिसके कारण किडनी सही से काम नहीं कर पाती है। जो किडनी खराब होने का संकेत होता है।
- आँख पर प्रभाव – हाई ब्लड शुगर आँखों के रेटिना को नुकशान पहुंचाता है। जिसके कारण मोतियाबिंद ,आँखों से धुन्दला दिखाई देगा , डायबिटिक रेटिनोपैथी समस्याएं हो जाती है। कभी कभी समय पर इलाज नहीं करने पर व्यक्ति अंधेपण का भी शिकार हो जाता है।
- नर्व पर प्रभाव – डायबिटीज पुरे शरीर के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है जिससे डायबिटिक नेओपथि कहा जाता है। इस स्थिति में मरीज शून्यता दर्द तापमान ,झुनझुनी, एल्जाइमर का अनुभव करता है।
- पैर पर प्रभाव – डायबिटीज के कारण नर्व के कमजोर होने से पुरे शरीर में रक्त का संचरण धीमा हो जाता है। जिस वजह से शरीर के निचले हिस्से में खून पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाता है। ऐसी स्थिति में पैरों में शून्यता ,संक्रमण ,घाव इत्यादि होने की संभावना बढ़ जाती है।
- ह्रदय पर प्रभाव – ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने से रक्त का प्रवाह समुचित ढंग से नहीं हो पाता है। जिसके कारण ह्रदय के धमनियों पर दबाव परता है। जिससे मरीज को रक्तदाब ,हार्ट अटैक ,सांस लेने में तकलीफ इत्यादि का सामना करना पर सकता है।
- मसूड़ों पर प्रभाव – हाई ब्लड शुगर की स्थिति में मसूड़ों में रक्त प्रवाह काम हो जाता है। जिससे मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। इस कारण मुँह में हानिकारक बेक्टेरिया संक्रमण का प्रभाव बढ़ जाता है। मसूड़ों से खून भी निकलने लगता है।
- त्वचा पर प्रभाव – शुगर मरीज में डिहाइड्रेशन से त्वचा का रुखा -सूखा होना,ढीली होना , त्वचा पर संक्रमण,खुजली ,दाना , चकती उभरने लगता है। कभी कभी ब्लड शुगर का स्तर ज्यादा होने से सोरायसिस जैसी त्वचा सम्बंधित गंभीर रोग हो जाती है।
डायबिटीज के उपचार (Treatment of Diabetes)
यह बात सही है कि डायबिटीज जानलेवा ,खतरनाक एवं स्थाई बीमारी है। इसका सही समय पर उपचार नहीं करने पर इसका परिणाम भयानक हो सकता है। तथा मौत के साथ ही यह बीमारी ख़त्म होती है। इसके लक्षणों को सही समय पर अगर पहचान लिया जाए तो इस बीमारी से पूर्ण रूप से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके लिए कुछ निन्मलिखित उपायों को अपनाना जरुरी है।
- स्वस्थ खान पान और नियमित दिनचर्या- स्वस्थ आहार और नियमित दिनचर्या डायबिटीज से उत्पन्न गंभीर समस्या से निजात दिला सकता है। अपनी डाइट में साबुत अनाज , फल सब्जी , ड्राई फूड्स , लौ कैलोरी भोजन को शामिल कर डायबिटीज के खतरे को बहुत हद तक टाला जा सकता है। है। सही समय पर भोजन करना , सोना और जागना संतुलित दिनचर्या अपनाने से डायबिटीज को कण्ट्रोल किया जा सकता है।
- नियमित व्यायाम – डायबिटीज को कण्ट्रोल करने का यह सबसे अच्छा तरीका है। व्यायाम करने से शरीर का मेटाबोलिज्म अच्छा रहता है जो शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद करता है। रोज आधे घण्टे का कम से कम व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम में एरोबिक , दौड़ना , साइकिल चलना , स्वीमिंग , योग और प्रणायाम को शामिल कर सकते है।
- तनाव मुक्त रहना – आज कल भाग दौड़ की ज़िन्दगी ने मनुष्य को तनाव ग्रस्त कर दिया है जिससे लोगों में अवसाद, मोटापा, चीड़चिड़ापन घेर लिया है जो डायबिटीज का मुख्य कारण है। अतः तनाव मुक्त जीवन जी कर डायबिटीज की समस्या से दूर रह सकते है।
- नियमित ब्लड शुगर जी जांच – नियमियत ब्लड शुगर की जांच से आपके ब्लड में शुगर के स्तर में बदलाव का पता चलता है। जिससे इसको नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। अगर आपको ब्लड शुगर है। नियमित ब्लड शुगर जांच की प्रक्रिया को अपनाकर शुगर को नियंत्रित कर सकते है।
डायबिटीज का घरेलु उपचार
डायबिटीज कण्ट्रोल करने तथा स्थाई रूप से इसका निदान के लिए घरेलु उपचार को अपनाना सबसे जरुरी है। अपने खान पान पर विशेष ध्यान , परहेज और कुछ घरेलु उपाय से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।
- मेथी का पानी पीना – रोज सुबह मेथी का पानी पीना डायबिटीज को नियंत्रित करने का सबसे सस्ता और सरल उपाय है। मेथी में कैल्सियम , फास्फोरस , आयरन , प्रोटीन , फाइबर होते है जो मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया को तेज करता है। इससे शरीर में ब्लड शुगर स्तर मेन्टेन रहता है। रात भर के लिए मेथी के दाने को भिगोकर छोर देना चाहिए और सुबह उसका पानी को पीना चाहिए। इसके अलावा आप मेथी के पराठे का भी उपयोग कर सकते है।
- जामुन के गुठली का प्रयोग – जामुन के बीज वीटा सेल को सक्रिय कर के इन्सुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ाती है। रोज सुबह जामुन के बीज के चूर्ण का गुनगुने पानी के साथ प्रयोग करने से शुगर कण्ट्रोल रहता है।
- गिलोय का प्रयोग – गिलोय एक स्ट्रॉन्ग एंटी ऑक्सीडेंट होने से यह शरीर में कई तरह के फ्री रेडिकल्स को ख़त्म करता है। इसमें एंटी डायबिटिक गुण भी पाया जाता है जो ब्लड शुगर स्तर को कम करने का काम करता है। रोज सुबह खली पेट गिलोय का जूस या इसमें आंवले का रास मिलकर सेवन कर सकते है। इससे शुगर लेवल नियंत्रण में रहता है।
- कढ़ी पत्ता – कढ़ी के पत्ते में HYPOGLYSEMIC गुण पाया जाता है जो शुगर लेवल को कम करने का काम करता है। रोज सुबह खली पेट कढ़ी का पत्ता चबाने से शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिलता है।
- ग्रीन टी – ग्रीन टी में एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते है। इसमें POLYPHENOLE तथा CATCHINE पाए जाते है जो डायबिटीज में सहायक है। ग्रीन टी रक्त शर्करा के स्तर को मेन्टेन करने में मदद करती है।
- दाल चीनी – दाल चीनी के सेवन से शरीर का मेटाबोलिज्म सही रहता है जो ब्लड शुगर स्तर को सामान्य बनाये रखता है। एक से दो चम्मच दाल चीनी को गन गुने पानी के साथ प्रयोग करने से ब्लड शुगर मेन्टेन रहता है।
प्रमुख व्यायाम जो डायबिटीज को नियंत्रित करता है।
डायबिटीज आमतौर पर खराब दिनचर्या तथा शारीरिक निष्क्रियता ,तनाव इत्यादि से होता है। आज कल बिजी लाइफ में लोग व्यायाम ,योग करना भूल गए है जिससे शरीर में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते है। जिसमे सबसे प्रमुख डायबिटीज है। शुगर के मरीज अगर अपनी दिनचर्या में बदलाव कर योग एवं प्राणायाम अपनाएं तो इसे न नियंत्रित बल्कि जड़ से ख़तम कर सकते है। कुछ ऐसे निन्मलिखित योगासन जो डायबिटीज रोगियों के लिए वरदान हो सकता है।
- मंडूकासन –
- पश्चिमोतानासन
- हलासन
- धनुरासन
- कपालभाति परनयम
- उत्तानपादासन
ये सभी आसन पैंक्रियास को क्रियाशील एवं उत्तेजित करता है। इस आसन से पेट के समस्त अंगो का मसाज होता है जो डायबिटीज को नियंत्रित्र रखता है।