बारिश के पानी से पैरो में फंगल इन्फेक्शन होने के कारण, लक्षण, और उपचार 

फंगल इन्फेक्शन जो बारिश के समय में होती है यह इन्फेक्शन बारिश के गंदे पानी के संपर्क में आने से फेल जाती है फंगल इन्फेक्शन से पैरों पर छले पर जाते है और खुजलियां होने लगती है जिसके कारण और फंगल इन्फेक्शन बढ़ जाता है | हमें डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए । डाक्टर एंटी-फंगल दवा या मौखिक दवाएं लिख सकता है। फंगल संक्रमण तीनों दोषों के कारण होता है। लक्षणों के आधार पर दोषों की दुष्टि भिन्न-भिन्न हो सकती है। खुजली होने पर कफ एवं पित्त असंतुलित होना, लाल होने पर पित्त एवं कफ का असंतुलन और त्वचा पर सफेद धब्बे होना होने के कारण होता है। फंगल इन्फेक्शन एक आम समस्या है लेकिन अगर समय से इसका इलाज न किया जाए तो यह एक गम्भीर रूप ले सकता है।अधिकांश फंगल त्वचा संक्रमणों का इलाज ओवर-द-काउंटर या प्रिस्क्रिप्शन क्रीम से किया जा सकता है।फंगल संक्रमण एक आम समस्या है परन्तु अगर समय से इसका इलाज न किया जाए तो यह एक गम्भीर रूप ले सकता है। फंगल इंफेक्शन त्वचा पर पड़ने वाला लाल रंग या चकत्तों जेसा होने लगता है और इसका प्रभाव बहुत खतरंनाक या हानिकारक हो सकता है यह सिर्फ मरीजों के त्वचा पर सिमित नहीं र्ह्त्सा बल्कि यह उतक और हड्डियों पर और बाकि शारीर पर प्रभावित करने की योगता रखता है फंगल इंफेक्शन होने के कारण बचपन से या वृद्धावस्था में भी हो सकता है या ये किसी भी अवस्था में होने का चांस हो सकता है।

फंगल इंफेक्शन के लक्षण

फंगस के कारण जो इंफेक्शन होता है उसमें मूल रूप से खुजली होते हैं। और बहुत लक्षण होते हैं जेसे :-

1.खुजली होना

यह सबसे सामान्य लक्षण है और फंगल इंफेक्शन के सबसे पहले लक्षण है। इंफेक्शन होने के स्थान पर खुजली और जलन हो सकती है।

2.दाने होना

फंगल इंफेक्शन के प्रकार के आधार पर, आपके त्वचा पर छोटे दाने दिख सकते हैं। इन दानों में धब्बे होते हैं और उन्हें खुजलाया या फोड़ा नहीं जा सकता है। कियोंकि इसे खुजलाया या फोड़ने से दाग हो सकते या अन्य डेन निकल सकते है |

3.त्वचा का रंग बदलना

कुछ फंगल इंफेक्शन त्वचा के रंग को बदल देता हैं और उसे डार्कर या लाल बना जाते हैं।

4.त्वचा की सूखापन

फंगल इंफेक्शन के कुछ प्रकार त्वचा को शुष्क बना सकते हैं और उसे तैयार कर सकते हैं। यह धुलाई के बाद अधिक व्यापक होता है और खुजली और उपजाऊता का कारण बन सकता है।

5.छालों का बनना

कुछ फंगल इंफेक्शन में, त्वचा पर छाले बन सकते हैं जो जलन, खुजली और दर्द का कारण बन सकते हैं।

फंगल इंफेक्शन होने के कारण

फंगल इंफेक्शन बारिश के मोसम में होते है और बहुत कारण होते है जिससे फंगल इंफेक्शन हो सकते है जेसे :-

1.नमी और गीलापन

बारिश के मौसम में वातावरण नमी और गीलापन से भर जाता है, जो फंगल विकास के लिए आदर्श बनाता है। इससे फंगस के विकास के लिए उपयोगी माहौल बनता है और इंफेक्शन की संभावना बढ़ती है।

2.वस्त्र और जूते

बारिश के समय अधिकांश लोग आवर्तनकारी वस्त्र और जूते पहनते हैं जो त्वचा को सुखा नहीं देते हैं। यह त्वचा में नमी को बंद कर सकता है और इंफेक्शन के लिए आदर्श माहौल बना सकता है।

3.पर्यावरण संक्रमण

बारिश के मौसम में फंगल इंफेक्शन फैलने का खतरा अधिक होता है क्योंकि यह समय वातावरणीय संक्रमण के लिए आदर्श होता है। वातावरण में मौजूद कवकों की संख्या और प्रकार बदल सकते हैं, जो इंफेक्शन की संभावना बढ़ा सकते हैं।

प्रतिरोधक क्षमता

बारिश के मौसम में अक्सर लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसके परिणामस्वरूप, त्वचा की सुरक्षा कम होती है और फंगल इंफेक्शन के प्रति संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

आमतौर पर मानसून के दौरान फंगल पैदा करने वले जीवाणु कई गुना तेजी से फैलते हैं। आमतौर पर शरीर के नजर अंदाज किए गए अंगों जैसे पैर की अंगुलियों के आगे का भाग, अंगुलियों के आगे का भाग, अंगुलियों आदि के बीच, कमर का निचला हिस्सा, जहाँ ये संक्रमण बहुत अधिक तेज़ी से होता है। मानसून के दौरान लोग हल्की बूंदा-बांदी में भीगने के बाद अक्सर त्वचा को गीला छोड़ देते हैं। यही छोटी-सी असावधानी कई बार फंगल से संक्रमित होने का कारण बन जाती है, इम्यून सिस्टम यानि मरीजों के प्रतिरोधी क्षमता कमजोर होना-स्किन इंफेक्शन की बड़ी वजह होती है।और त्वचा अत्यधिक जोखिम हो जाता हैं यह जून जुलाई और अगस्त के महीनो में जायदा चांस होता हैं।

फंगल इंफेक्शन से बचने के उपाय

फंगल इंफेक्शन से बचाव के लिए, आपको निम्नलिखित उपायों का पालन करना चाहिए

  • मानसून में फंगल संक्रमण अधिक होता है।
  • त्वचा को सूखा और स्वच्छ ।
  • सूती कपड़े पहना कीजिये ।
  • बरसात में बालों को गीला न रहने दीजिये ।
  • पानी पर्याप्त मात्रा में पीयें ताकि त्वचा सूखी न रखे।
  • फंगल संक्रमण की नवीन अवस्था में एलोपैथिक उपचार बहुत अच्छा परिणाम देते हैं लेकिन अगर एलोपैथिक उपचार से संक्रमण ठीक न हो सकें तो आयुर्वेदिक उपचार ज्यादा लाभदायक हो सकता है।

फंगल इंफेक्शन के लक्षणों को ध्यान में रखते हुए और इन बचाव के उपायों का पालन करते हुए, आप अपनी सुरक्षा को बढ़ा सकते हैं। यदि आपको लगता है कि आपको फंगल इंफेक्शन हो सकती है, तो आपको चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

फंगल इंफेक्शन का घरेलु उपचार

1.हल्दी से राहत

हल्दी में एंटीफंगल गुण होते हैं, इसलिए इसके प्रयोग से भी फंगल इंफेक्शन ठीक हो जाते हैं। इसके लिए आप इंफेक्शन वाली जगह पर कच्ची हल्दी को पीसकर लगा सकते हैं। अगर कच्ची हल्दी उपलब्ध नहीं है तो आप हल्दी पाउडर को थोड़े से पानी के साथ मिलाकर इसका गाढ़ा पेस्ट बनाकर इसे भी प्रभावित जगह पर लगा सकते हैं।हल्दी के प्रयोग से इंफेक्शन की वजह से होने वाले दाग-धब्बे भी मिट जाते हैं।

2.नीम से राहत

नीम त्वचा के किसी भी तरह के संक्रमण को रोकने में लाभकारी होता है। नीम के पानी या नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर इस पानी का प्रयोग दिन में कई बार त्वचा पर करने से फंगल इंफेक्शन से राहत मिलती है।

3.लाभकारी पुदीना

पुदीने में इंफेक्शन के प्रभाव को नष्ट करने की क्षमता होती है। पुदीने की पत्तियों को पीसकर पेस्ट बना लें। इस पुदीने के पेस्ट को त्वचा में लगा कर इसे 1 घण्टे तक रहने दे फिर निकाल दें।

4.कपूर से राहत

मिट्टी के तेल में 6 ग्राम कपूर और 1 ग्राम नेप्थलीन को मिला कर संक्रमण वाली जगह पर कुछ समय लगा कर छोड़ देजिए । जब तक रोग ठीक न हो तब तक इस प्रक्रिया को दो से तीन बार दोहराये।

5 .पीपल की पत्तियां

पीपल की पत्तियों को थोड़े पानी के साथ उबाल लें। इसे ठण्डा होने दें और इस पानी का प्रयोग त्वचा को धोने के लिए करें। इससे घाव जल्दी ठीक होने लगते हैं।

6 .जैतून का पत्ता

जैतून के पत्ते में एंटीफंगल और साथ ही एंटीमाइक्रोबॉयल गुण होते हैं जो कवक या फंगस को खत्म करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।
जैतून के पत्ते का पेस्ट बना लें , और फंगल इंफेक्शन वाले क्षेत्र पर लगायें। इसे 15 -20 मिनट तक लगा कर रखें। संक्रमण खत्म होने तक रोजाना एक दो या तीन बार इस लगाते रखिये |

7.लहसुन से राहत

लहसुन में एंटी फंगल गुण मौजूद होते हैं इसलिए खाने में लहसुन के प्रयोग से फंगल इंफेक्शन का खतरा कम हो जाता है। लहसुन के प्रयोग के लिए आप लहसुन की 3-4 कलियों को पीस लें और इसके पेस्ट को इंफेक्शन वाली जगह पर लगाएं। अगर आपने इंफेक्शन वाली जगह को ज्यादा खुजलाया है तो लहसुन लगाने से एक मिनट थोड़ी -सी जलन हो सकती है लेकिन यह इंफेक्शन कुछ ही दिनों में ठीक होने लगता है।

8.जैतून का तेल

जेतुन का तेल काफी गुणकारी होता है लेकिन पत्तों में भी कई गुण होते हैं। फंगल इंफेक्शन को ठीक करने के लिए जैतून के 5-6 पत्तों को पीसकर इसका पेस्ट बना लें और इसे इंफेक्शन वाली जगह पर लगा लें। इस पेस्ट को त्वचा पर आधे घण्टे लगा रहने दें इसके बाद धो लें।

9.एलोवेरा जेल फायदेमंद

एलोवेरा जेल या एलोवेरा में एंटी फंगल गुणों के कारण फंगल इंफेक्शन से राहत मिलती है, लेकिन इसके लिए ताजा तोड़े गए पत्ते का जेल अच्छा माना जाता है। आप एलोवेरा के ताजे पत्ते को तोड़कर इसे बीच से वर्टिकल काट लें और जेल वाले हिस्से को त्वचा पर सीधे रगड़ें। रगड़ने के बाद बचे हुए रेशों को त्वचा पर 30 मिनट तक रहने दें फिर इसे पानी से धो लेंजिए।

10.दही से राहत

दही में एसिड होता है जो हानिकारक बैक्टीरिया को मार देता है। हालांकि दही में खुद भी बैक्टीरिया होते हैं लेकिन वह बैक्टीरिया हमारे शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते है।दही को इंफेक्शन वाली जगह पर रुई की मदद से लगाएं और मसाज करिऐ । एक बात का ध्यान रहे कि, इंफेक्शन वाली जगह को कभी भी हाथों से न छुएं। नहीं तोह आपके हाथों या पैरों पर फैले फंगल इंफेक्शन बहुत जायदा फेल सकती हैं |

11.नारियल तेल

मध्यम-शृंखला फैटी एसिड की उपस्थिति के कारण नारियल का तेल किसी भी प्रकार के फंगल संक्रमण के लिए एक प्रभावी उपाय के रूप में काम करता है। संक्रमण के लिए जिम्मेदार फंगल को मारने के लिए ये फैटी एसिड प्राकृतिक फंगसाइड के रूप में काम करते हैं।
धीरे-धीरे प्रभावित क्षेत्र पर नारियल का तेल लगायें और इसे अपने आप सूखने दें। जब तक संक्रमण साफ नहीं हो जाता तब दो या तीन बार दोहराएं
नारियल के तेल और दालचीनी के तेल की बराबर मात्रा में मिलाएं और प्रभावित क्षेत्र पर इसे लागू करें। संक्रमण के विकास को नियंत्रित करने के लिए प्रतिदिन दो बार इस उपाय का पालन करें।

12.चाय से फायदेमंद

चाय में टैनिन फंगल संक्रमण के लिए फंगल को नष्ट करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, चाय में एंटीबायोटिक और अस्थिर गुण होते हैं जो फंगल संक्रमण, सूजन और त्वचा की जलन जैसे फंगल इंफेक्शन के लक्षणों से छुटकारा पाने में मदद करते हैं।
गर्म पानी को कुछ चाय बैग 15 मिनट के लिए भिगो कर रखे और उन्हें पानी से हटा कर और उन्हें 25 मिनट के लिए रेफ्रिजरेटर में रखें। फंगल इंफेक्शन की जगह पर ठण्डे चाय के बैग तब तक लगायें जब तक संक्रमण पूरी तरह से साफ नहीं हो जाता है। इस प्रक्रिया को तीन बार दोहराएं।
टोनेल फंगस या एथलीट के पैर के लिए, पाँच मिनट के लिए उबलते पानी के चार कप में पांच काले चाय के बैग खड़े करें। पानी को ठण्डा होने दें और फिर 30 मिनट तक प्रभावित पैर को भिगो दें। पाँच से छ सप्ताह के लिए प्रतिदिन दो बार दोहराएं।

13.अमरूद की पत्तियां

अमरूद कि पत्तियां में एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं, जो संक्रमण फैलाने वाले फंगस से लड़कर फंगल इन्फेक्शन का इलाज करते हैं, फंगल इन्फेक्शन का आयुर्वेदिक इलाज हैं। अमरूद की 15-20 पत्तियां को उबालें। 20 मिनट तक उबालें, समय पूरा होने पर पानी को छान लें और थोड़ी देर ठंडा होने के लिए रख दें। अब साफ कपड़े की मदद से इस पानी से संक्रमित त्वचा को अच्छी तरह साफ करें। आप चाहें तो इस पानी की मात्रा बढ़ाकर नहाने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। रोजाना एक बार यह उपाय किया जा सकता है।

14 . बैंकिंग सोडा

बैकिंग सोडा में एंटीफंगल गुणों मौजूद होते है जिसके कारण फंगस इंफेक्शन के विकास को रोकने में मदद करता है। इसका पाउडर को पानी डालकर पैरों पर लगाएं।15 -20 मिनटक तक लगाए रखें उसके बाद धो लें |

फंगल इंफेक्शन संक्रमण के लिए परीक्षण कैसे किया जाता हैं ?

  • फंगल इंफेक्शन को डाक्टर के रिपोस्ट को दिखाने के बाद इस जांच को किया जाता है,ओर फंगल इन्फेक्शन का परीक्षण निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है
  • सीटी स्कैन (CT scan)
  • माइक्रोस्कोपी (Microscopy)
  • हाइपरसेंसिटिविटी (Type 1 hypersensitivity)
  • नेजल पोलिपोसिस (Nasal polyposis)

निष्कर्ष

फंगल इंफेक्शन बारिश के समय में होने वाले समस्या एक आम समस्या बन चुकी हैं फंगल इंफेक्शन होने के कारण, लक्षण, घरेलु उपचार को बताया गया हैं। फंगल संक्रमण की गंभीर स्थिति होने पर या संक्रमण के साथ शरीर में अन्य लक्षण दिखने पर आप डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। साथ ही इस संक्रमण से जुड़ी सभी जानकारी डॉक्टर से लें।

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