हृदय रोग के लक्षण,कारण,दवा एवं उपचार

ह्रदय क्या है।

ह्रदय शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। एक दिन में लगभग एक लाख बार और एक मिनट में 75 -90 बार धड़कता है। यह धड़कन के साथ पूरे शरीर में रक्त को संचालित करता है। ह्रदय को पोषण एवं ऑक्सीजन रक्त के द्वारा मिलता है जो कोरोनरी धमनी द्वारा प्रदान किया जाता है। यह अंग दो भागों में विभाजित रहता है , दायाँ एवं बायाँ। ह्रदय में 4 चैम्बर होते है। दाहिना भाग शरीर से दूषित रक्त प्राप्त करता है। एवं उसे फेफड़ों में पंप करता है। और शोधित रक्त ह्रदय के बाएं भागों में वापस लौटता है जहाँ से वह शरीर में वापस पंप कर दिया जाता है। इस तरह ह्रदय शरीर में रक्त को सोधित एवं नियंत्रित करने का कार्य करती है।

ह्रदय रोग क्या है।

दिल की बीमारी आज के समय में आम बीमारी बन चुकी है। आज के लाइफ स्टाइल और खराब खान पान के कारण 30 – 40 के उम्र में ही लोगों को दिल के रोग होने लगे है। आज हर परिवार में कोई न कोई सदस्य इस बीमारी के चपेट में है। खराब लाइफ स्टाइल , तनाव ,Exercise ना करने और नियमित आहार के वजह से लोगों को दिल से सम्बंधित गंभीर रोग होने लगे है। ह्रदय रोग दुनिया में मृत्यु और विकलांगता का प्रमुख कारण है।
ह्रदय मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह छाती के मध्य में , थोड़ी सी बायीं ओर मौजूद होता है। ह्रदय रोगों के तहत रोगों में रक्त बाहिका रोग शामिल है। ,जैसे कोरोनरी आर्टरी देसिस , जन्मजात ह्रदय दोष के साथ यह बीमारी उत्पन्न होती है। ह्रदय रोग में संकुचित या अवरुद्ध रक्त वाहिका होती है जो दिल का दौरा सीने में दर्द या स्ट्रोक का कारण बन सकती है। इसके अलावा दिल की मांस पेसियों वाल्वों या लय को प्रभावित करता है। जिन्हें ह्रदय रोग के रूप में जाना जाता है। ह्रदय रोग को मोटे तौर पर निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है

1.कार्डिओमायोपैथी

जब ह्रदय की आपके शरीर के सभी हिस्सों में रक्त पंप करने की ताकत कमजोर या सख्त मांसपेशियों के कारण कमजोर हो जाता है। तो इसे कार्डिओमायोपैथी कहा जाता है। इससे अनियमित दिल की धड़कन होने लगता है। जो दिल की विफलता का कारण बन सकता है। कार्डियोमायोपैथी एक गंभीर स्थिति है जो चिकितस्य लाभ से ठीक हो सकता है। इसके लक्षणों के अंतर्गत सांस लेने में कठिनाई , सूजन , थकान , सूजे हुए पैर ,तेज या स्पंदन नाड़ी शामिल है।

2.अतालता

इसमें दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। जो दिल की धड़कन की असामान्य दर का कारण बनता है। इसमें दिल की धड़कन बहुत धीमी या बहुत अनियमित होता है। सामान्य तौर पर अतालता हानिरहित होती है और इसमें कोई जटिलता नहीं होती है। इसके लक्षणों में चक्कर आना ,छाती में दर्द , बेहोशी शामिल है।

3.अथेरोस्कलेरिसिस

इसमें प्लाक जमा होने से धमनियां सकरी हो जाती है जिससे आपके शरीर के अन्य हिस्सों में रक्त और ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। यह उम्र बढ़ने के साथ होता है। इसका सफल इलाज संभव है। इनके लक्षणों में बदन दर्द ,अंगो में शून्यता ,अंगो में ठंडक , हाथ पैरों में कमजोरी शामिल है।

4. जन्मजात ह्रदय रोग

ह्रदय दोष से सम्बंधित यह रोग जन्म से ही मौजूद होता है जिसमे ह्रदय वाल्व , दीवार या रक्त वाहिका के विकास में दोष हो जाता है। इसके लक्षणों में सांस लेने में कठिनाई ,हाथ पाऊँ में सूजन , नीली रंग की त्वचा, दिल की धमनी का रोग, सीने में दर्द और बेचैनी शामिल है इसके अलावा ,जी मिचलाना अपच की भावना तथा सीने में दबाव शामिल है।

5. दिल में संक्रमण

ह्रदय से सम्बंधित आम तौर या बीमारी बैक्टीरिया और परजीवी से होने वाले संक्रमण के कारण होता है। यह पेरीकार्डियम(ह्रदय को ढकने वाली पतली परत ) ,मायोकार्डियम (ह्रदय की मांसपेशियों की सूजन ) या अण्डोकार्डियम (ह्रदय की आंतरिक परत ) को प्रभावित कर सकता है।

कोरोनरी धमनी रोग (C A D ) यह रोग धमिनियों में कोलेस्ट्रॉल के निर्माण के कारण होता है जिसमे ह्रदय में अनियमित रक्त का प्रवाह होता है जिसका परिणाम दिल का दौरा भी हो सकता है।

ह्रदय रोग के लक्षण

ह्रदय रोग, सबसे तेज़ी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। इसे दुनिया भर में होने वाली मौत के प्रमुख कारणों के रूप में भी जाना जाता है। WHO के अनुसार भारत में 40 – 69 वर्ष की आयु के के बीच लगभग 45 % आबादी की मृत्यु का कारण ह्रदय रोग है। अतः सही समय पर इसके लक्षणों को पहचान कर उचित देखभाल और इलाज से इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। ह्रदय रोग के सामान्य लक्षण निम्नलिखित है।

  • छाती के केंद्र में दर्द ,बेचैनी, दिल का जोरों से धड़कना
  • ऊपरी शरीर में बार बार दर्द होना जैसे हांथो,बाँहों ,जबड़े ,गर्दन ,पीठ या पैर के ऊपरी भाग में ,
  • थकान या कमजोरी
  • सांस फूलना , नींद काम आना
  • चक्कर आना ,पसीना आना,जी मिचलाना
  • खांसी आना घबराहट महसूस होना
  • असहज महसूस करना
  • निचले अंगों में सूजन
  • अस्थिर महसूस करना

उपयुक्त इस तरह से सम्बंधित लक्षण का पता चले तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।

ह्रदय रोग के कारण

ह्रदय रोग के अनेक कारण हो सकते है, जो आपके दिल या रक्त वाहिकाओं को हुए नुकसान के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसके निम्नलिखित कारण है।

  • धूम्रपान
  • अस्वस्थ्य खान पान
  • अत्यधिक वजन
  • व्यायाम ना करना
  • चिंता करना
  • अपर्याप्त
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • जन्मजात ह्रदय दोष
  • अत्यधिक दवाओं का सेवन
  • तनाव
  • शुगर
  • कोरोनरी धमनी रोग
  • दिल में संक्रमण
  • रुमेटिक फीवर
  • उत्तक विकार
  • कार्डिओमायोपैथी (दिल की मांसपेशियों का मोटा होना या बढ़ना)

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ह्रदय रोग के लिए जोखिम कारक

ह्रदय रोग और स्ट्रोक के सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारक अस्वस्थ्यकर ,आहार ,शारीरिक ,निष्क्रियता शराब और तम्बाकू का हानिकारक उपयोग इसके अलावे बढे हुए रक्त शकरा ,बढे हुए रक्त चाप ,बढे हुए रक्त लिपिड तथा बढ़ता वजन ह्रदय रोग के लिए जोखिम कारक है।
इसके साथ उम्र के साथ धमनियों के संकुचित होने का खतरा बढ़ जाता है और ह्रदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। लिंग और पारिवारिक इतिहास भी ह्रदय रोग के लिए जोखिम कारक है।
आहार में नमक की कमी, नियमित शारीरिक गतिविधि ,अधिक फल और सब्जियां खाना , तम्बाकू और शराब के हानिकारक उपयोग से बचना ह्रदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है। इसके अलावा ,रक्त चाप मधुमेह और उच्च रक्त लिपिड का दवा उपचार ह्रदय सम्बन्धी जोखिम को कम करने और दिल के दौरे और स्ट्रोक को रोकने के लिए आवाश्यक है।

ह्रदय रोग का निदान

40 वर्ष से अधिक का कोई भी व्यक्ति जिसे हाई बीपी डायबिटीज ,मोटापा ,मोटापा ,उच्च कोलेस्ट्रॉल या ह्रदय सम्बंधित समस्याओं का पारिवारिक इतिहास हो , ऐसे व्यक्ति को नियमित ह्रदय जांच जरूर करनी चाहिए यदि किसी को सीने में दर्द सांस लेने में तकलीफ ,थकान अनियमित या तेज दिल की धड़कन आदि जैसे लक्षण हो उन्हें कार्डियोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए। 2D ECHO और TMT जांचे हार्ड ब्लॉकेज का पता लगाने में मदद करती है। इसके अलावे कुल कोलेस्ट्रॉल ,LDL और HDL , ट्राइग्लिसराइड्स, CRP, लिपो प्रोटीन, ECG इत्यादि जांच ह्रदय रोग के लिए आवश्यक होता है।

ह्रदय रोग का उपचार

ह्रदय रोग ज्यादातर लोगों में खराब खान पान ,खराब लाइफ स्टाइल ,शारीरिक निष्क्रियता ,तनाव ,मोटापा इत्यादि से होता है। तथा कुछ अनुवांशिक कारणों से भी ह्रदय रोग परिलक्षित होता है। ह्रदय रोग से सम्बंधित समस्याओं से बचे रहने के लिए निम्नलिखित उपाय या आदतों को अपनाना अत्यंत आवश्यक है।

1. सही आहार और खान पान

ख़राब खान पान और अनियमित आहार से आज कल लोगों में ह्रदय से सम्बंधित समस्याएँ एवं जटिलताएं बढ़ती ही जा रही है। सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट ह्रदय के लिए अत्यधिक घातक होता है। आज कल हमारी खान पद्धति में सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। इसके वजह से शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा तेजी से बढ़ती है जो ह्रदय के धमनियों के रक्त वाहिकाओं को बंद कर देती है। और हार्ट अटैक हो जाता है। स्नैक्स, जंक फूड्स ,उच्च वसा युक्त भोजन ,फास्ट फ़ूड ,तेज मशालेदार भोजन ,मीट, डेरी उत्पाद इत्यादि के अधिक सेवन से ह्रदय की समस्याओं और हार्ट अटैक के बढ़ने का संभावना रहती है। अतः ह्रदय की समस्याओं से बचे रहने के लिए आहार का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। स्वास्थ्य आहार ह्रदय रोग के कारकों को कम करने के लिए सहायक है। इसके लिए आहार में ताजा फल , सब्जी ,साबुत अनाज , कम फैट वाले डेरी उत्पाद तथा स्वस्थ तेलों का सेवन करें, साथ ही ड्राई फूड्स जैसे काजू ,बादाम ,अखरोट ,मेवा ,का सीमित उपयोग करें।

2. धूम्रपान का निषेध

धूम्रपान को बढ़ते ह्रदय रोग के मामलों के लिए प्रमुख कारण माना जाता है। सिगरेट का धुंआं रक्त में ऑक्सीजन को कम कर देता है, जिससे उच्च रक्त चाप और ह्रदय गति बढ़ जाती है। तम्बाकू में मौजूद रसायन ह्रदय और वाहिका को नुकसान पहुँचाती है। शरीर और मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए ह्रदय को अधिक मेहनत करने पड़ती है। ये स्थितियां ह्रदय रोगों का कारण बन सकती है।
WHO के अनुसार हर साल 1.9 मिलियन लोग तम्बाकू से प्रेरित ह्रदय रोग से मरते है। यह आकड़ा ह्रदय रोग से होने वाली मौतों का 20 % है। एक अध्ययन के अनुसार धूम्रपान ना करने से या छोड़ देने से ह्रदय रोगों का खतरा 50 % तक कम किया जा सकता है। यह भी पता चला है। की प्रति वर्ष कोरोनरी ह्रदय रोग से लगभग 2 लाख मौतों के लिए धूम्रपान रहित तम्बाकू जिम्मेदार है। E-Cigratte रक्तचाप भी बढ़ाता है जिससे ह्रदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।

3. शारीरिक गतिशीलता को बढ़ाना

शारीरिक गतिशीलता को बढ़ाकर ह्रदय रोग के जोखिम को काफी हद तक कम किया जाए सकता है। प्रतिदिन आधे घंटे की शारीरिक गतिविधि हृदयरोग के जोखिम को 90 % तक कम किया जा सकता है। व्यायाम ,योगा तथा प्रणायाम से ह्रदय रोग के खतरे को टाला जा सकता है। काम के बीच 2 -3 मिनट्स का वाक तथा गहरे सांस लेने से हार्ट अटैक के खतरे से बचा जा सकता है। रोजाना पैदल चलना आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य में प्रभावी तरीके से सुधार लाने और सकारात्मक बदलाव लाने का एक आसान तरीका है।

4. तनाव से दूर रहें

अत्यधिक तनाव आपके शरीर के पुरे कार्य क्षमता प्रणाली को प्रभावित करता है। अत्यधिक तनाव विशेष रूप से ह्रदय को अत्यधिक रूप से प्रभावित करता है। तनाव के कारण आपका ब्लड प्रेशर ,सुगर ,खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की अत्यधिक संभावना रहती है और इन्ही कारणों से ह्रदय से जुडी समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है। अतः तनाव रहित जीवन जीना सम्पूर्ण स्वास्थ्य के साथ साथ ह्रदय रोग के लिए फायदेमंद हो सकता है। अत्यधिक तनाव से बचने के लिए सकारात्मक जीवनशैली को अपनाना आवश्यक हो जाता है। इसके लिए अपने खुद के लिए समय निकाले, किसी शौक या मनोरंजन वाली गतिविधि से खुद को जोड़े अपने हॉबी को विकसित करें, दोस्तों और रिश्तेदारों से अच्छे सम्बन्ध बनाये रखे। साथ ही ध्यान ,योग तथा श्वसन सम्बंधित व्यायाम पर आप ध्यान दे सकते है जो तनाव दूर करने में सहायक सिद्ध हो सकते है।

5. वजन को नियंत्रित करें

आज कल भाग दौर की जिंदगी में लोगों का वजन अनियंत्रित रूप से बढ़ रहा है। बढ़ता वजन अनेक शारीरिक बीमारियों को आमंत्रित करता है। जिसमे ह्रदय रोग भी शामिल है। ह्रदय को स्वस्थ बनाये रखने के लिए शरीर के वजन को सामान्य रखें। अपने बॉडी मास्क इंडेक्स को नियंत्रित रखें। वजन को नियंत्रित रखने के लिए स्वस्थ खान पान और व्यायाम को शामिल करें। रेसेदार फल, सब्जी,तथा साबुत अनाज का प्रयोग करें। तेल ,घी ,नमक ,मिर्च ,मसाला ,मीठे पदार्थों से दूर रहें।

6. कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखें

शरीर में बढ़ता खराब कोलेस्ट्रॉल ह्रदय के धमनियों को विशेष रूप से प्रभावित करता है। कोलेस्ट्रॉल जमा होने से धमनियां सकरी होती जाती है जिसकी वजह से एंजीना ,हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। स्वस्थ आहार जैसे – फल ,सब्जी ,साबुत अनाज ,वसा रहित भोजन तथा व्यायाम से शरीर में जमे खराब कोलेस्ट्रॉल को बाहर कर सकते है। रोज सुबह खाली पेट एक कली कच्चा लहसुन या इलाइची के आकर के बराबर अदरक का सेवन शरीर में में मौजूद कोलेस्ट्रॉल को घटाता है।

7. अत्यधिक नमक से बचें

आपके भोजन में अत्यधिक नमक से हाई ब्लड प्रेसर हो सकता है जो ह्रदय रोग हार्ट अटैक और कंजेस्टिव हार्ट फ़ैल के लिए प्रमुख कारण हो सकता है। अत्यधिक नमक के सेवन से शरीर में अत्यधिक पानी जमा होता है। जिसका सम्बन्ध हार्ट फ़ैल से है। एक वयस्क को हर दिन 6 ग्राम यानी एक छोटे चम्मच से कम नमक का सेवन करना चाहिए। WHO के अनुसार अपने भोजन में 30 % तक कम नमक का सेवन करने से बहुत सारी बीमारियों से से छुटकारा पा सकते है। बाजार में मिलने वाली खाद्य पदार्थों जैसे – स्नैक्स ,तेल मसालेदार भोजन ,चिप्स में नमक की मात्रा अधिक होती है। अतः इनके सेवन से बचे

ह्रदय रोग से जुड़ी महत्वपूर्ण तथ्य (WHO के अनुसार )

  1. ह्रदय रोग पूरी दुनियाँ में मृत्यु का प्रमुख कारण है।
  2. 2019 में 17.9 मिलियन लोग ह्रदय रोग से मारे गए ,जो सभी वैश्विक मौतों का 32 % है। इन मौतों में से 85 % हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण हुई।
  3. तीन चौथाई से अधिक CVD से होने वाली मौतों निम्न और मध्यम आये वाली आय वाले देशों में
  4. 2019 में गैर- संचारी रोगों के कारण होने वाली 17 मिलियन आकाल मौतों (70 वर्ष से कम आयु) में से 38 % CVD के कारण हुई।
  5. तम्बाकू के उपयोग, अस्वास्थ्यकर आहार और मोटापा,शारीरिक निष्क्रियता और शराब के हानिकारक जैसे। कारकों को सम्बोधित कर के अधकांश ह्रदय रोगों को रोका जा सकता है।

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