मोटापा: कारण, प्रकार, लक्षण , समस्या, घरेलू नुस्खे और आयुर्वेदिक तरीके

मोटापा शरीर का वजन बढ़ाता है क्योंकि ऊर्जा के सेवन तथा ऊर्जा के उपयोग के बीच असामान्य के कारण मोटापा होता है।और अधिक चर्बी वाले भोजन का सेवन करना भी मोटापा को बढ़ा देती हैं मोटापा विटामिन D की कमी से होती है इसलिए जिन लोगो के अधिक वजन या मोटे होते हैं, उनमें विटामिन D की कमी होती है. इस की वजह से शरीर में एडिपोकिंस कम होने लगता है और मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है,जिससे एनर्जी कम खर्च होती है और भूख बढ़ने लगती है मोटापा अक्सर व्यायाम और सामान्य दैनिक गतिविधियों से जली हुई कैलोरी की तुलना में अधिक कैलोरी खाने से होता है तथा बिंज ईटिंग डिसऑर्डर कुशिंग रोग और पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम जैसी चिकित्सीय बीमारियों के कारण भी वजन बढ़ना और मोटापा होता है। मोटापा बहुत से रोगों से जुड़ा होता है, जैसे हृदय रोग,कालीन श्वास समस्या, मधुमेह, निद्रा कई प्रकार के कैंसर मोटापे का प्रमुख कारण है।

मोटापा होने के कारण

मोटापा कई कारणों से होती है जिनमें से कुछ कारण निम्नलिखित हैं:-

1.निष्क्रिय जीवनशैली

शारीरिक गतिविधि का अभाव मोटापे में योगदान करता है,क्योंकि शरीर जब सक्रिय नहीं होती है तो यह कम कैलोरी को जलाता है।

2.जेनेटिक्स

यह शरीर के वजन और मोटापा के प्रति संवेदनशीलता को निर्धारित करने में अपना एक योगदान देता है।

3.अस्वास्थ्यकारी आहार

जब हम शरीर मे जरूरत से ज्यादा कैलोरी का सेवन करते है तो वजन और मोटापा जाता है और उच्च-कैलोरी, उच्च-वसा, और उच्च-चीनी खाद्य पदार्थ अतिरक्षण में योगदान देने की सबसे अधिक संभावना है।

4.चिकित्सीय स्थितियाँ

चिकित्सीय स्थितियाँ, जैसे हाइपोथायरायडिज्म और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, मोटापे में योगदान कर सकती हैं।यह शरीर द्वारा ऊर्जा के उपयोग को धीमा कर देता है।

मोटापे के कई कारण हो सकते है। जो निम्नलिखित है-

  • Exercise कम करना और स्थिर से जीवन को व्यतीत करना मोटापे का कारण होता है।
  • सामान्यता शारीरिक कार्य अच्छे से नहीं होते है तो शरीर में चर्बी जमा हो जाती है,जो मोटापा का एक प्रमुख कारण है।
  • ऊर्जा का सेवन तथा ऊर्जा के उपयोग के बीच होने वाले और समानता के कारण शरीर का वजन और मोटापा बढ़ जाता है।
  • बचपन और युवावस्था के समय का मोटापा व्यस्क होने पर भी रह सकता है।
  • जब अधिक मात्रा में चर्बीयुक्त भोजन का उपयोग करते हैं तो वो भी मोटापे का एक कारण बन जाता है।
  • अधिक मात्रा मे मिठा का सेवन करने से भी खतरा रहता है।
  • मानसिक तनाव की वजह से कभी-कभी लोग अधिक भोजन करने लगते हैं जो मोटापा का कारण बन जाता है।

मोटापा के प्रकार

इसकी गंभीरता का पता लगाने के लिए बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिसे डॉक्टरों के माध्यम से 3 वर्गों में बांटा गया है।बीएमआई के आधार पर मोटापा तीन तरह का होता है जो निम्नलिखित है-

1.प्रथम श्रेणी मोटापा

इस श्रेणी में मोटापा बहुत अधिक नहीं होता है और बॉडी मास इंडेक्स 30 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर से लेकर 35 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर तक होता है।

2.द्वितीय श्रेणी मोटापा

यह मोटापे का दूसरा स्तर होता है जिसमे बॉडी मास इंडेक्स 35 से 40 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर के बीच होता है।

3.तृतीय श्रेणी मोटापा

मोटापे का तीसरा स्तर गंभीर होता है जिसमे कई बीमारियां (हृदय रोग,शुगर,फैटी लिवर रोग)होने की संभावना बढ़ जाती है इसमें बॉडी मास इंडेक्स 40 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर से अधिक हो जाता है।

मोटापा के लक्षण – (Obesity Symptoms)

मोटापा शारीरिक और मानसिक स्तर पर जीवन में कई सारे परिवर्तन लाता है। जिनके कारण व्यक्ति में इसके लक्षण दिखने लगते हैं। किन्तु कई बार लोग इन्हें महत्त्व नहीं देते और इसके बारे में कोई चिकित्सकीय सलाह नहीं लेते जो आगे चलकर उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है।

मोटापे के लक्षण निम्नलिखित हैं-

1.सांस फूलना

बार-बार साँस फूलने की समस्या का होना मोटापे का एक प्रमुख लक्षण है जो कई कारणों से हो सकता है और कई रोगों का कारण भी बनता है। क्योंकि छाती और पेट में अधिक वजन सांस लेने को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों पर दबाव डालती है।

2.थकान महसूस करना

जब बिना किसी अतिरिक्त कार्यभार के लगातार थकान का अनुभव होता है तो यह भी मोटापे का एक लक्षण है।

3.पसीना में वृद्धि

जब अचानक से बार-बार पसीना आने लगते है और वह भी बहुत तो वह ये दिखता है कि व्यक्ति मोटापे से ग्रसित है।

4.आत्मसम्मान में कमी

शारीरिक समस्या के कारण किसी भी काम को करने की क्षमता में कमी होने के कारण स्वयं पर विश्वास भी नहीं होता जिसके चलते आत्मसम्मान में भी कमी आने लगती हैं।

5.जोड़ों में दर्द

जो मनुष्य मोटापे की समस्या से ग्रसित हैं उनलोगों में पीठ और जोड़ों के दर्द सामान्य रूप से देखा जात है।अतिरिक्त वजन के कारण जोड़ों में उपास्थि समय के साथ घिस हो सकता है।जिससे काफी दर्द होता है और चलना फिरना मुश्किल हो जाता है।

6. शारीरिक असमर्थता

सामान्य रूप से कोई भी शारीरिक गतिविधि जैसे लंबी यात्रा या दौड़ के दौरान पेट में दर्द के वजह से असमर्थ हो जाने का संबध भी मोटापे से है और ये मोटापे का प्रमुख्य लक्षण भी हैं।

7.खर्राटे

ज्यादातर मोटापे से ग्रसित लोगों को नींद में बहुत खर्राटे आते है यह समस्या अक्सर गर्दन की चर्बी के कारण होता है। क्योंकि जब कोई व्यक्ति लेटता होता है तो उच्च वायुमार्ग अनुबंध होने लगता है जिससे मोटापे का खतरा अधिक संभव हो जाता है। मोटापा बढ़ने के साथ-साथ यह समस्या और भी बढ़ती जाती है।

8.ज्यादा या कम सोना

जब हम जरुरत से ज्यादा सोते है या कम सोते हैं तो यह भी हमारे मोटापे का बहुत बड़ा लक्षण होता है।

मोटापे से समस्या

मोटापे के कारण कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं जिनमें टाइप 2 डायबिटीज, गैस्ट्रोओस्फोजियल रिफ्लक्स डिजिज,उच्च रक्तचाप,जोड़ों की ओस्टियोआर्थराइटिस, हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया, हृदय रोग, अवसाद,स्लीप एपनिया, जोड़ों का दर्द और श्वसन समस्याएं ,यूरिनरी स्ट्रेस इंकांटिनेंस, अस्थमा और फेफड़ों की समस्याएं और प्रजनन संबंधी समस्याएं।डायबिटीज वाले मरीज के मोटापा बढ़ने से उसकी डायबिटीज की समस्या बढ़ जाती है । सांस फूलना तथा अधिक पसीना आना मोटापे के प्रमुख समस्या है।.टाइप 2 डायबिटीज

टाइप 2 डायबिटीज

जब हमारे शरीर को इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील बनाते हैं तो फैट सेल्स प्रो-इंफ्लेमेटरी (pro-inflammatory) केमिकल्स को छोड़ देता है जिसके कारण टाइप 2 डायबिटीज होती है।

1.स्लीप एपनिया

जब छाती में जमा अतिरिक्त वसा फेफड़ों को दबा सकती देती है तो वह प्रतिबंधित श्वास का कारण बन जाती हैं, जो कि स्लीप एपनिया के पीछे का एक कारण होता है।

2.कैंसर

हमारे शरीर में वसा जब अधिक मात्रा में होता है तो मांसपेशियों में सूजन बनने लगता है जो कैंसर से संबंधित कारणों में से एक है।

3.उच्च रक्तचाप

आमतौर पर वसा धमनियों में जमा होती है, जिससे शरीर में रक्त का प्रवाह सीमित हो जाता है,और यह हृदय पर तेजी से पंप करने के लिए दबाव डाल देता हैं इसके परिणामस्वरूप उच्च रक्तचाप हो सकता है।

4.स्ट्रोक

यह आपके मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह की आपूर्ति करने वाले धमनी में रुकावट पैदा करती हैं जिससे मोटापे वाले शरीर में सूजन पैदा होने लगती है जिसके कारण खराब रक्त प्रवाह की संभावना होती है।

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मोटापा के जोखिम कारक

इनके जोखिम कारक निम्नलिखित है-

1.नींद की कमी

बहुत अधिक नींद लेने या जब नींद पूरी नहीं होती है तो भूख बढ़ाने वाले हार्मोन में परिवर्तन होने लगता है।

2.आयु

लोगों की उम्र जब बढ़ती है, तो उनका चयापचय स्वाभाविक रूप से कम हो जाता है, जिससे स्वस्थ वजन बनाए रखने मे अधिक कठिन हो जाता है।

3.मनोवैज्ञानिक कारक

चिंता,आघात,तनाव और अवसाद का इतिहास जैसे मनोवैज्ञानिक कारक वजन बढ़ाने और मोटापे में योगदान कर सकते हैं।

4.अधिक स्क्रीन टाइम

जैसे काम, खरीदारी और सामाजिक जीवन ऑनलाइन होता जा रहा है, हम तेजी से अपने फोन और कंप्यूटर के सामने अधिक समय बिताते हैं। यह गतिहीन जीवन शैली की ओर जाता है।

मोटापा मे वजन कम

  • सुबह उठकर खाली पेट 2-3 गिलास पानी पिएं। इससे मेटाबॉलिज्म बढ़ेगा।
  • शुगर युक्त चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए क्योंकि इससे वजन तेजी से बढ़ने लगता हैं।
  • खाने से आधे या एक घंटे पहले पेट भर पानी पी ले। इससे अधिक भोजन करने का मन कम करेगा।
  • ज्यादा ऑयली चीजें,जैसे पिज्जा, पनीर और मसालेदार आदि खाने से बचना चाहिए।
  • संतुलित भोजन के सेवन करने से वजन नहीं बढ़ता है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है। क्योंकि वजन कम करने के लिए भोजन कभी नहीं छोड़ना चाहिए। इसकी बजाय संतुलित आहार का सेवन करें और व्यायाम करें।
  • रात के खाने में जो भी खाए वह हल्का और आराम से पचने वाला खाना होना चाहिए।
  • सोने से एक या दो घण्टे पहले भोजन कर लेना चाहिए।
  • हमेशा संतुलित और कम वसा वाला आहार खाना चाहिए।
  • योगा करना चाहिए जैसे- त्रिकोण आसन,प्राणायाम, सूर्य नमस्कार,भुजंगासन,ध्यान जैसे- भस्त्रिका,कपालभाती को प्रतिदिन करना चाहिए।

मोटापा कम करने के लिए सर्जरी

मोटापे को कम करने के लिए दो प्रकार की सर्जरी की जाती है, जिनमें एक बेरियाट्रिक सर्जरी (Bariatric होती है और दूसरी लिपोसक्शन सर्जरी (Liposuction surgery) होते हैं,शरीर के बीएमआई के हिसाब से देखा जाता है कि कौन सी सर्जरी की जाएगी बेरिएट्रिक सर्जरी, जिसे वेट लॉस सर्जरी भी कहा जाता है, सर्जिकल ऑपरेशन की एक श्रेणी है जिसका उद्देश्य मोटापे से ग्रस्त लोगों को वजन कम करने में मदद करना है वर्ग III के मोटापे के लिए बेरिएट्रिक सर्जरी सबसे सफल दीर्घकालिक उपचार है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के अनुसार, केवल आहार और व्यायाम के माध्यम से वजन घटाने के लिए वर्ग III मोटापे वाले लोगों के लिए यह लगभग असंभव है।एक बार जब आपका शरीर आपके उच्च वजन को “सामान्य” के रूप में दर्ज कर लेता है, तो यह उस वजन पर लौटने का प्रयास करता रहता है।ये सर्जरी यह सोचकर काम करती है कि आपका शरीर आपके खाने का प्रबंधन कैसे करता है, जिससे स्वस्थ आहार और जीवन शैली में परिवर्तन निरंतर वजन घटाने और स्वास्थ्य के लिए प्रभावी होते हैं।

बेरियाट्रिक सर्जरी(Bariatric surgery)

यह सर्जरी उन लोगों की होती है जिनका बीएमआई 31 से ज्यादा होती है और अधिक प्रयास के बाद भी उनका वजन कम नहीं होता हैं, इस सर्जरी में मरीज के अमाशय और पेट की आंतो में कुछ बदलाव किए जाते हैं, जिससे धीरे-धीरे मरीज का वजन अपने आप कम होने लगता है।

लिपोसक्शन सर्जरी (Liposuction surgery)

जिन लोगों का बीएमआई बराबर के आसपास रहता हैं,यह सर्जरी उनकी ही की जाती है यह सर्जरी ज्यादा मोटे लोगों के लिए नहीं होती है, इस सर्जरी में आमतौर पर पर कॉस्मेटिक फायदों के लिए होती है। इसके माध्यम से पेट,जांघ और डबल चीन आसपास के मोटापे को कम किया जाता है।

मोटपा कम करने के घरेलू नुस्खे

मोटापा कम करने के लिए घरेलू नुस्खे निम्नलिखित है-

अदरक में थर्मोजेनिक एजेंट होता है, इसलिए अदरक नींबू की चाय पिए क्योंकि यह फैट को कंट्रोल करने में सहायता प्रदान करता है।
नाश्ते में लौकी की जूस पिए इसके अलावा लौकी की सब्जी सूप भी पी सकते है।

  • दिन भर सिर्फ गर्म पानी पिए क्योंकि गुनगुना पानी पीने से मेटाबोलिज एक्टिवेट हो जाते हैं और वजन कम करने में मदद करता है इससे ना केवल बॉडी हाइड्रेट होती है बल्कि पेट और जमा अतिरिक्त वसा घट जाता है।
  • सुबह खाली पेट नींबू पानी ले आप चाहे तो इसमें थोड़ा सा शहर और चुटकी भर हल्दी डाल सकते हैं।
  • अश्वगंधा के पत्तों का सेवन करें इसके अलावा एक गिलास गुनगुने दूध में एक चम्मच अश्वगंधा पाउडर और शहद मिलाकर रोजाना सेवन करने से मेटाबोलिज्म और पाचन तंत्र बेहतर होता है।
  • मोटापा से निजात पाने के लिए रोजाना सुबह खाली पेट गोधन अर्क पी सकते हैं।
  • गर्म पानी में हल्दी,शहद,अदरक मिलाकर पिए।

मोटापा कंट्रोल करने के लिए आयुर्वेदिक सहारा

मोटापा कंट्रोल करने के लिए आयुर्वेदिक सहारा निम्न है-

  • आयुर्वेद में हल्दी अदरक और शहद के उपयोग करने की सलाह दी जाती है, जो वजन को घटाने में काफी सहायक होती है इससे पेट की एक्स्ट्रा चर्बी भी कम होती है
  • शहद और दालचीनी के सेवन से भी फैट बर्न होता है इसके लिए शहद और दालचीनी को गुनगुने पानी के साथ इस्तेमाल करें और आप चाहें तो शहद और लहसुन का भी उपयोग कर सकते हैं।
  • नींबू पानी में पेक्टिन और पॉलीफेनोल होते हैं, जो भूख को दबाने का काम करते हैं और वजन को कंट्रोल करने के लिए भी नींबू पानी बहुत मददगार है।
  • बाला एक ऐसाी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी होती है,जो वजन घटाने में काफी मदद करती है,ये एल्कलॉइड से भी भरपूर होती है,इसके सेवन से शरीर के एक्स्ट्रा फैट भी कम होता है।
  • मेथी वजन घटाने में चमत्कारी असर दिखाती है इससे वेट लॉस करने में मदद मिलती है,मेथी आपके पाचन को अच्छा बनाती है और गैस की समस्या से भी राहत दिलाती है।

वजन घटाने के लिए आयुर्वेदिक पाउडर

1.दालचीनी पाउडर (Cinnamon Powder)

इसके सेवन से आप बढ़ते वजन और मोटापे को कंट्रोल कर सकते हैं। यह शरीर के चयापचय को उत्तेजित करने में आपकी मदद करती है, जो पेट की चर्बी को कम करने में असरदार है।

2.त्रिफला पाउडर (Fenugreek Powder)

त्रिफला शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को खत्म करने का गुण रखता है। इसके सेवन से आपका पाचन तंत्र मजबूत हो सकता है। यह एक प्राचीन औषधि है।

3.कलौंजी पाउडर

कलौंजी काफी लाभकारी होता हैं इसमें मौजूद फाइबर मोटापे को कंट्रोल करता है।अगर आप मोटापा कंट्रोल करना चाहते हैं, तो कलौंजी से तैयार पाउडर का सेवन करें।

4.मेथी पाउडर (Fenugreek Powder)

मेथी स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है यह पाचन शक्ति को बूस्ट करता है।मेथी में मौजूद गैलेक्टोमैनन, पानी में घुलनशील घटक होता है। इसके सेवन से खाने की क्रेविंग कम होती है, जिससे आपके शरीर को बढ़ते वजन से छुटकारा मिल सकता है।इसके सेवन से आप कई तरह की समस्याओं को दूर कर सकते हैं।

5.जीरा पाउडर (Jeera Powder)

जीरा पाउडर में मौजूद गुण वजन कम करने में असरदार होता हैं शरीर के बढ़ते वजन को कंट्रोल करने के लिए आप इन आयुर्वेदिक पाउडर का सेवन कर सकते हैं। इससे आपके शरीर को काफी लाभ मिलेगा।

6.गुग्गल

गुग्गुलु एक प्राचीन जड़ी बूटी है, जिसका उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है,इसमें असंतृप्त स्टेरॉयड गुग्गुलोस्टेरोन होता है-जो चयापचय को बढ़ावा दे सकता है,यह वजन घटाने में सहायता करता है।

मोटापे का रोकथाम

1.कम भोजन की मात्रा

अधिक भोजन खाने से अगर हम सावधानी बरतें तो यह भी मोटापे के जोखिम को कम कर सकता है।

2.चीनी का कम सेवन

मीठे पदार्थों का सेवन कम करने से मोटापा पर नियंत्रण पाया जाता है,इसलिए हमें अधिक मात्रा में चीनी का सेवन नहीं करना चाहिए।

3.संतुलित भोजन

एक संतुलित आहार का सेवन करना जिसमें भोजन के उचित अंश शामिल हों, जिससे स्वस्थ वजन प्रबंधन को बढ़ावा दे सकते हैं।

4.खाद्य पदार्थ सीमित करें

खाद्य पदार्थ अक्सर कैलोरी और वसा में उच्च होते हैं, जिससे उन्हें मोटापे में महत्वपूर्ण योगदान मिलता है। संपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों पर ध्यान केंद्रित करने से मोटापे को रोका जा सकता हैं।

निष्कर्ष

शोधकर्ताओं के मुताबिक, हमारा अध्ययन बताता है कि मोटापे को कम करने और उस वजन को बनाए रखने के लिए सिर्फ दवाओं पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। एक अच्छी जीवनशैली बहुत जरूरी है। इसके तहत अच्छा खानपान और व्यायाम बहुत जरूरी है। इसके बिना दवाएं उतनी कारगर साबित नहीं हो सकती हैं।

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