टीबी (tuberculosis)आपके फेफड़ों या अन्य ऊतकों में संक्रमण पैदा करता है। टीबी संक्रमित मरीज जब छींकता, खांसता या थूकता है तो उसके द्वारा की गई इन क्रियाओं के कारण टीबी के बैक्टीरिया हवा में फैलते हैं।

केला कैल्शियम का बहुत अच्छा स्रोत है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने में मदद करता है।

1. केले

लहसुन में सल्फ्यूरिक एसिड प्रचुर मात्रा में होता है जो टीबी रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारने में मदद करता है।

2. लहसुन

संतरे में आवश्यक मात्रा में खनिज और यौगिक पाए जाते हैं। संतरे का रस फेफड़ों में लवणता लाता है, जो कफ को कम करता है।

3. संतरे का प्रयोग करें

ग्रीन टी टीबी के इलाज में मदद करती है क्योंकि इसमें उच्च एंटीऑक्सीडेंट और प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले गुण होते हैं, जो बैक्टीरिया को कम करते हैं।

4. ग्रीन टी

सीताफल में न केवल पुनर्योवन गुण होते हैं, बल्कि यह तपेदिक को भी ठीक करता है। अधिकतर सीताफल के गूदे का प्रयोग किया जाता है।

5. सीताफल

अखरोट में मौजूद गुणों के कारण यह टीबी को रोकने के लिए लाभदायक है। अखरोट इम्यूनिटी देने में मदद करता है,।

6. अखरोट

सहजन की पत्तियों में कैरोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन गुण होते हैं जो फेफड़ों में टीबी रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मार देते हैं।

7. सहजन

इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। यह शरीर को ऊर्जा और क्षमता भी बढ़ाता है जिससे शरीर के अंगों के कार्य ठीक से हो पाते हैं।

8. आंवला

काली मिर्च फेफड़ों को साफ करती है, जिसकी मदद से टीबी के कारण होने वाले सीने के दर्द से राहत मिलती है।

9. काली मिर्च (Black Pepper)

दूध में मौजूद केल्सियम शारीर के लिए भुत लाभकारी है इसमें मौजूद गुण ही टीवी जेसे बीमारियों से लरने की क्षमता मिलती है।

10. दूध